Friday, December 24, 2010
पुराना प्यार जब वापिस आता है :)
किसने तुम्हे यहाँ बुलाया है, तुम्हे यहाँ कोन खीचकर लाया है
तुम खुद क्यूँ इतना इतराते थे, तुम आँख भी नहीं मिलाते थे
तुम हमसे सहमे सहमे रहते थे, तुम खुद में खोये रहते थे
१ शब्द तुम्हारा सुनने को हम तरस तरस रह जाते थे
१ झलक तुम्हारी पाने को हम बारिश तक सह जाते थे
मझे याद है आज भी वो गिरा हुआ रुमाल, शर्माता हुए वो नाजुक चेहरा लाल
मुझे यद् है आज भी वो बरसो पुरानी कॉलेज की दिवार
जिसके पीछे छिपकर करना तुम्हारे आने का इंतजार
तुम्हारे साथ दिया वो पहला एक्स्जाम, वो कॉलेज के ४ फालतू वर्ष तमाम
तुम दिल में कई सपने पाले थे, शायद किसी और से शादी करने वाले थे
हम मन ही मन तुम्हे चाहते रहे, अंधी भावनाओ में कराहते रहे
हम ज़िन्दगी भर तड़पते रहे, करने मोहब्बते इज़हार
पता नहीं चला तुम्हारी याद में कब मर गया मेरा मूक प्यार
हम तो तुम्हे कॉलेज के बाद से भुला दिए थे, तुम्हारी यादों को दिल से जला दिए थे
मगर न जाने ये कैसा कलयुग आया है, तुम्हारी याद ने मुझे आज फिर रुलाया है
अपने बेटे को समझालो, आज उसने मुझे फिर से मामा बुलाया है
किसने तुम्हे यहाँ बुलाया है,तुम्हे यहाँ कोन खीचकर लाया है
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is kavita mein chhupaa hua vyangya mujhe bahut pasand aaya.
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