Sunday, February 15, 2009

टकलों की कविता

सर पर चिंता के बादल मडराने लगे ,
मेरे बाल झड़ झड़ के ज़मीन पर आने लगे !!
फ़िक्र इतनी हुई की , आँख भर आई ,
कल तक जो चिंता थी,आज चिता बनकर आई!!
सोचा ...
इस भरी जवानी में , तकले को लेकर कहा जाऊंगा,
हर जगह दर दर की ठोकर खाऊँगा!!!
इस समाज में गंजा होना , बडा अपमान है!
जिसके पास बाल हैं , उसी का सम्मान है!!!!

उम्मीदकी किरण कही दिखाई नही देती,
गवर्नमेंट भी गंजो को, कोई रियायत नही देती!!
सोचा,क्यों न मंगू सरकार से अपना अधिकार,
अब मुझे गंजा बनकर जीना , नही स्वीकार!!

हमारे देश में तो , टकलों का बड़ा सम्मान हे,
१ से लेकर १००० तक के नोट पर बापू ही विराजमान हे !!
गंजो के जीवन के लिए, तन मन धन लगाऊंगा,
गंजो के संरक्षण के लिए, गंजा यूनियन बनाऊंगा !!
१ ऐसी यूनियन जहाँ , गंजो का सम्मान होगा,
जो बाल वाले हे, उनका अपमान होगा!!!

टकले के सदुपयोग को दुनिया को बतलाना हे,
जहाँ जहाँ कम आएगा टकला , वह राह दिखलाना हे!!
टकले को टकला, कहने की हिम्मत किसी की न होगी,
टकले की तुलना सिर्फ़ चाँद से ही होगी!!!!!!!

टकले को चाँद सा चमकाना अत्यन्त जरुरी होगा,
टकला cleaning सेण्टर हर गली में कम्पलसरी होगा!!
जहाँ हर टकले को रियायत होगी , हर बाल वाले की शामत होगी!!
टकला रहेगा टकला, हर बाल वाले की पूरी हजामत होगी !!!!

में हर टकले को इलेक्शन में , ticket दिलवाऊंगा,
में नेता बनकर संसद में टकला अधिवेशन लाऊंगा !!
टकले की उन्नति, टकला अधिवेशन का नारा होगा!
टकला इस दुनिया में सबसे प्यारा होगा !!!
टकला अधिवेशन के बाद टकलों की आमदनी अकूत होगी !
टकलों को हर सामान पर ५० प्रतिशत की छूट होगी !!
हर टाकीज थियेटर में हम टकलों को मुफ्त में फ़िल्म दिखायेंगे ,
टकलों के सम्मान के लिए, टकलागान बजायेंगे !!!!
टकला होना होगा , कार्य महान !!!
टकलों के लिए बजाओ , टकलागान टकलागान
टकलागान, टकलागान टकलागान टकलागान

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